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निरख नाम चित चेत गहो रे / संत जूड़ीराम
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निरख नाम चित चेत गहो रे।
छोड़ो हेत कुटल काया को भूलन तज हर नाम भजो रे।
धन दारा अरु बंधू हितू सब अंतकाल नहि कोऊ सगो रे।
डूबो जीव भरम सागर में मन दुविदा की धार बहो रे।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें बेजल मीन अधीन मरोरे।