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भजन बिना नहीं गत तेरी / संत जूड़ीराम
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भजन बिना नहीं गत तेरी।
ममता नदबिह तिन भीतर डूबो जात मिलत नहिं हेरी।
किह विध पार मिलत प्रीतम को बिना जहज भयो झकझेरी।
यह तन जात पार नहिं लागै बिनसी स्वास फिरत नहिं फेरी।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें बिन चंदा ज्यौ रात अँधेरी।