भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पीव बिना जब जीव गमायो / संत जूड़ीराम

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:37, 29 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत जूड़ीराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पीव बिना जब जीव गमायो।
सत्त असत्त खबर नहिं जाको मन सुक-दुख को वाग लगायो।
मोह छाक मद मान पान कर सिर दुवदा को भार लदायो।
जो सिनसार हार नहिं माने भक्त बिना जुग-जुग ठहरायो।
आद अंत सब संत गृंथ कह समझ बिना मत फिरे अरुझायो।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें कोट जतन कर बहुविध धायो।