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हौ एत्तेक बात राजा सुनै छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एत्तेक बात राजा सुनै छै
कुरसी पर से राजा चललै
हो एके नजरि बनसप्ति पर पड़ै छै
हौ बात बात पर झगड़ा बझलै
तबे जवाब बनसप्ति दै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
हौ जत्तेक बान्ह तीसीपुरमे बन्हलऽ।
हा सभ के बान्ह राजा खोलि दहक हौ।
एत्तेक बात जब राजा सुनै छै
तबे जवाब राजा दरबी दै छै
हा जतेक अगुआ एलै महिसौथा से
बान्हल गेलै तीसीपुरमे गयलै
जान के आइ काम तोरा तीसीपुरमे हौ तऽ
भागि जो चलि जो राज महिसौथा
जान नै बचतौ महिसौथामे बचतौ
तोरो जे बान्हिके बनिसार हम दइ दैबौ यौ।
तबे जबाब बनसप्ति करै छै
भौजी के डोला महिसौथा लऽ कऽ जयबै यौ।
एत्तेक बात बनसप्ति बजै छै
सवा हाथ खंडा राजा उठौलकै
बात बातमे झगड़ा बझिगेल
तबे जवाब बनसप्ति दै छै
जइ से लड़बऽ ओइ से लड़बै
बल से लड़बऽ बल से लड़बै
छल से लड़बऽ छल से लड़बै
जादू के लड़ाइ आइ वनसप्ति जानी लड़ै छै गै।
हौ पहिने जादू पलटन सभके मारै छै
हा सब पलटनियाँ ड्योढ़ी पर गिरै छै
जहिना सखुआ-शीशो के पाँगै
हर-हर हर-हर पलटन गिरै छै
जहिना है जादू राजा के लगलै
हा राजा मूर्च्छित जब भऽ गेलै
दादा नरूपिया बगलमे बैठल
सबके मार बनसप्ति जखनी कऽ देलकै यौ।
कोहबर घरमे कुसुमा छेलै
कोहबर घर से रानीयाँ जुमि गेल।
झूकि सलाम ननदि के करै छै
सुनियौ सुनियौ बहिन बनसप्ति
दिल के वार्त्ता अहाँ के कहै छी
जइ दिन जनम तीसीपुर लेलीयै
सोइरी घरमे अँचरा उठौलीयै
हा राज महिसौथा आशा जोहलीयै
जहिना प्राण सीता जी केलकै
सबे प्राण हम तीसीपुरमे केलीयै
बाबू भाइ के पगड़ी रखलीयै
तहि से नइ सहारा स्वामी जी के नै केलीयै यै।।
से जान बकैस पिता के दीयौ
हा सहजे आइ तऽ दिन मनाबीयौ
डोला फनाँ तीसीपुरमे जेबै
हमरो वचनियाँ दैया आइ तऽ मानि लियौ यै।।
हौ एत्तेक बात तऽ कुसमा कहै छै
रानी वनसप्ति दयालू छेलै
साँवर जादू राजा के मारै छै
तबे राजा ठाढ़ जब होइछै
तब जवाब बनसप्ति दै छै
हौ आबो डोला हौ राजा दऽ दय।
हा सब बान्ह जेल घर से खोलि दय।
आ सहजे आइ डोला हम भौजी के लऽ जेबै हौ।।
हौ एत्तेक वचनियाँ राजा सुनै छै
हा सब चीज सब बश भऽ गेलै
स्वीकार केलकै देवता वचन के
तबे जवाब पलटन के दै छै
सुन सुन हौ छोड़ा बिजुलीया
हौ जतेक बन्हुआ जेलमे बन्हलऽ।
हा सबके खोलि हाजिर जब करबह।
बेटी आ कुसमा के दिन मानलीयै।
जल्दी यौ डोला रानी के दऽ दऽ।
जल्दी आय डोला बेटी आइ कुसमा के दऽ दीयौ हौ।