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एत्तेक बात सती साँमैर कहैय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एत्तेक बात सती साँमैर कहैय
हा सत के बंधमे देवता पड़ि गेल
हा सती साँमैर के सत पर चलैय
पीरे रंग धोतीया देवता पेन्हैय।
हौ आब जतरा परबा पोखरि के सुनियौ
चढ़िते सवनमा महीना बीतै छै
दादा नरूपिया मोरंग जाइ छै
परबा पोखरि के यज्ञ होइ छै
पीरे रंग रंगल धोतीया नरूपिया देवता पेन्है छै।
पोथी-पुराण नरूपिया देवता लइ छै
हा ओढ़नी बसुलीया गात लगौलकै
सुग्गा हीरामनि संग लगौलकै
हा जतरा करै छै परबा पोखरि के
घड़ी चलैय पहर बीतैय
पले घड़ी मोरंगमे जुमैय
पले घड़ीमे देवता मोरंगमे जुमि गेलै यौ।।
हौ परबा पोखरिमे नरूपिया जुमलै
हा साँझ जे पड़ि गेल संझा बेरमे
हा सुन्दर फुलवंती मलीनियाँ छेलै
कोहबर घरमे मलीनियाँ छेलै
से घड़ी राति बोन अैगली बीतलै
घड़ी राति बोन पैछली बीतलै
गाम-गाममे पहरा पड़लै
गीदड़-भालू गुड़गुड़ी मारैय
सुखल डारि पर कागा बोलैय
सन-सन सन-सन हवा उठैय
पैछली राति करनीनियाँ बेरमे
सपना दै छै फुलवंती के
गै सुनि ले बेटी फुलवंती
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
भोर भेलै भिनसरबा भेलै
चल-चल बेटी परबा पोखरिमे
कखनी स्लान परबा पोखरिमे करबह गै।