भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हौ एत्तेक बात राजा कहैय / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:54, 10 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=सलहे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एत्तेक बात राजा कहैय
एके रत्ती सत आय देवता कऽ दय
तब छुटकारा ड्योढ़ीमे हेतऽ
हा सत कऽ के तहुँ जइयौ हौ
हौ मने मन तऽ सोचै नरूपिया
छेलै देवता सोझमतिया
छः पाँच नइ देवता बुझै
राजा संगमे सत करै छै
तब राजा पलटन के कहै छै
सुन रौ पलटन तैयारी होइयौ
दादा सलहेस राजा कहै छै
सुन सुन हौ देवता नरूपिया
हा सत करौलीयै ड्योढ़ी परमे
अढ़ाइ दिन के बान्ह बान्हीले
अढ़ाइ दिन जे जेइ दिन पुरतै
हाजत घरमे तोरा खुलतौ
तब छुटकारा तोरा हम कऽ देबौ हौ।