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वयम् / राधावल्लभः त्रिपाठी

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आज्ञापालनमात्रनष्टविभवा
नो ते वयं किङ्कराः
ये नृत्यन्ति निरर्थकं तव कृते
नो ते वयं किन्नराः।
ये कूर्दन्ति च रञ्जितुं तव मनो
न स्मो वयं वानराः
ये जीवन्ति सदैव मानसहितं
राजन् वयं ते नराः।।