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चंचल रूप, अचंचल भाव! / अर्जुन हासिद

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चंचल रूप, अचंचल भाव!
कण कण, विख विख खे बि उहाव!

हर चेहरे ते केॾा रंग,
जोभन खे केॾा न हुॻाव!

मुरिकी, बाज़े मुंहुं मोड़े बि,
मूं महसूसिया के त छुहाव!

रोज़ कयां थो ॾोह गुनाह,
सोच करे तिनि सां सरचाव!

हाणे कंहि वटि ॾिसिजनि कोन,
अॻु अखिड़ियुनि में हुआ पछुताव!

मन जी मूडी, कुझ अहसास,
मर्म शर्म जा तन ते घाव!

हासिद डेॼारिनि था कीअं,
रुलंदड ऐं पिनंदड़ ॾहकाव!