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वक्त जी रफ़्तार, आईनो ॾसे! / अर्जुन हासिद

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वक्त जी रफ़्तार, आईनो ॾसे!
को अकेलो कांउ थो भिति ते लंवे!

वेठे-वेठे चउ किथे पहुतें वञी,
साह मां तुंहिंजे का ख़ुशबू थी अचे!

मुरिक चप ते, तन्ज़ नेणनि में अथई,
इन खां वधि कंहिं खे भला ॿियो छा खपे!

ओट में मेहनत जी गुज़रे ज़िंदगी,
मन, वचन, अहसास जी साञह रहे!

डोड़-डुक, सहकणु, किथे साही पटणु,
छांव उस, युग युग खां, गॾु थी विख खणे!

छो वॾो बणिजणु थो चाहीं ख़्वामख़्वाह,
हिन जी हुन जी गारि थी ॿुधिणी पवे!

चुप करे हासिद विहणु सिखंदें कॾंहिं,
कंहिं त ॾाहप जो, किथां को सॻु मिले!