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चवण जो ॾांउ त आहे लेकिन! / अर्जुन हासिद

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चवण जो ॾांउ त आहे लेकिन!
चवण लइ कुझ बि त नाहे लेकिन!

इएं त केॾो न मिठिड़ो लहजो,
ॾिसु आबरू बि थो लाहे लेकिन!

करियूं था रोज़ नईं सूर्हियाई,
चढूं था पंहिंजे ई फाहे लेकिन!

निफ़िक़, वेर खे निंदे हरको,
अलाए केरु थो चाहे लेकिन!

चऊं था देस सॼो हिकु आहे,
घिटीअ-घिटीअ में ही छाहे लेकिन!

रुॻियूं ही रम्जूं, रुॻियूं चालाकियूं,
छॾिनि थियूं कौम खे डाहे लेकिन!

उॾे उभामे थो हासिद केॾो,
अञा त ढोर थो काहे लेकिन!