भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देखना फ़रमान ये जल्दी निकाला जाएगा / हरेराम समीप
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:09, 6 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेराम समीप |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
देखना फरमान ये जल्दी निकाला जाएगा
जुर्म होते जिसने देखा मार डाला जाएगा
मसखरों के स्वागतम् में गीत गाए जाएँगे
शायरों को देश से बाहर निकाला जाएगा
दिल की बेरंगी ने बदला है नज़र का दृष्टिकोण
हमसे ऐसे में न कोई चित्र ढाला जाएगा
पोथियाँ मत सौंपिए झूठे किसी इतिहास की
व्यर्थ का यह बोझ न हमसे सँभाला जाएगा
तोहफे‚ तमगे करीने से सजाने के लिए
पुस्तकों को रैक से बाहर निकाला जाएगा
आग मत भड़काइए देकर घृणाओं की हवा
वक्त के चूल्हे पे वर्ना खूँ उबाला जाएगा