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देखना फ़रमान ये जल्दी निकाला जाएगा / हरेराम समीप
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देखना फ़रमान ये जल्दी निकाला जाएगा
जुर्म होते जिसने देखा मार डाला जाएगा
मसखरों के स्वागत में गीत गाए जाएँगे
शायरों को देश से बाहर निकाला जाएगा
दिल की बेरंगी ने बदला है नज़र का दृष्टिकोण
हमसे ऐसे में न कोई चित्र ढाला जाएगा
पोथियाँ मत सौंपिए झूठे किसी इतिहास की
व्यर्थ का यह बोझ न हमसे सँभाला जाएगा
तोहफे‚ तमगे करीने से सजाने के लिए
पुस्तकों को रैक से बाहर निकाला जाएगा
आग मत भड़काइए देकर घृणाओं की हवा
वक्त के चूल्हे पे वर्ना खूँ उबाला जाएगा