अपना जमीर बेचिए दौलत कमाइए
इस लूट की नदी में जी भर नहाइए
इनकी जड़ों को छाँटकर बौना बनाइए
फिर बोनसाई ख्.वाब ये घर में सजाइए
उस हादसे में लाख मरे‚ आप तो बचे
घी के दिये जलाइए‚ खुशियाँ मनाइए
‘सरकार’ सो रहे हैं सुविधा की सेज पर
जो दुख उन्हें सुनाएँ‚ तो गाकर सुनाइए
इस ओर नागनाथ है‚ उस ओर साँपनाथ
इसको जिताइये कभी‚ उसको जिताइए
मंडी में आ गए हैं तो बिकना है लाज़मी
शर्माएँ न अब अपनी भी बोली लगाइए