भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चित्रकार माँ / नीता पोरवाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:03, 22 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीता पोरवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अलसुबह
दीवारों पर सिर टिकाये
मुंडेरों की परछाइयां
और घुलने लगती हैं
जमी हुई परतें खारेपन की!

बह निकलते हैं
अलग अलग रंग
एक ही पोर्ट्रेट पर
पनीले मगर गहरे!

ऐसे ही कई पोट्रेट में
रंग भरता है चित्रकार
एक बार फिर से
खाली हो जाने के लिए!