Last modified on 24 सितम्बर 2016, at 03:48

पियवा गेलै परदेशवा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:48, 24 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पियवा गेलै परदेशवा, भूलि गेलै।
नै भेजै चिट्ठी पतरी, नै भेजै तार
नै करै फोनमा से बात हे सखिया, भूलि गेलै...
नै भेजै रूपया पैसा, नै भेजै कपड़ा
नै भेजै चूड़िया सिनुर हे सखिया भूलि गेलै...
बेटवा माँगै पैंट-सर्ट, बेटिया सलवार
फाटी गेलै सड़िया हमार, हे सखिया भूलि गेलै...
काम धंधा करी-करी गूजर बसर करै, छौं
गामों के मनचलवासिनी मारै नयनवाण हे सखिया
केकरहौ कहै छियै कोय नै सुनै छै
कैसें केॅ बचैवै इज्जत आवरू हे सखिया भूलि...