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रिमझिम रिमझिम घन घिर अइहो / पवन कुमार मिश्र
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रिमझिम-रिमझिम घन घिर अइहो
मोरी जमुना जुड़इहें ना।
मद्धिम-मद्धिम जल बरसइहो
मोरी जमुना अघइहें ना।
कदम के नीचे श्याम खड़े हैं
मुरली अधर लगाए
बंसिया बाज रही बृंदाबन
मधुबन सुध बिसराए
हौले-हौले पवन चलइहो
मोरी जमुना लहरिहें ना।
रिमझिम-रिमझिम घन घिर अइहो
मोरी जमुना जुड़इहें ना ।
रस बरसइहो बरसाने में
भीजें राधा रानी
गोपी ग्वाल धेनु बन भीजें
भीजें नन्द की रानी
झिर-झिर झिर-झिर बुन्द गिरइहौ
मोरी जमुना नहइहें ना।
रिमझिम-रिमझिम घन घिर अइहो
मोरी जमुना जुड़इहें ना।