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चांउठि / मोहन गेहाणी
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हिकु क़दमु अन्दर आयल शख़्स खे
ॿाहिर करे छॾे
ऐं ॿाहिरिएं खे अन्दर करे छॾे
तूं
दिल जी चांउठि मथां
झूलो ॿधी
झूलीन्दो रहीं
मूंखे कल ई न रही
तूं अन्दर आहीं या ॿाहिर!