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सुवाल / महेश नेनवाणी

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तॾहिं उहे
दाल-रोटी खाईन्दा हुआ
”हुननि“
दाल जो अघु वधाए छॾियो
उहे गुह-रोटी खाइण लॻा
”हुननि“
गुड़ जो अघु वधाए छॾियो
उहे बसर-रोटी खाइण लॻा
”हुननि“
बसरनि जो अघु वधाए छॾियो
उहे लूणु-रोटी खाइण लॻा
”हुननि“
रोटीअ जो अघु वधाए छॾियो
हाणे?

(मां ऐं मां, 1986)