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आंधि मांधि / मोहन हिमथाणी

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तोखे चविणो आहे
घणो कुझु बुधिणो आहे तोखां
पर ज़िन्दगी आहे सचु
केतिरी न ॻचु।
किथे इएं न थिए असां ॻोल्हीन्दा वतूं
लफ़्जनि खे
हिक सुहिणी भूमिका ॿधण लाइ
ऐं गुज़िरी वञे अहिड़ो समो।

त छो न असीं ख़ामोश रहूं
ॻाल्हाईनि अखियूं ऐं बुधूं रुॻो
हिक ॿिए जे अन्दर हलन्दड़
आंधि मांधि।