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क़िस्सो खारे वरी ठाहिण आया / एम. कमल
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क़िस्सो खारे वरी ठाहिण आया।
दोस्ती दोस्त निबाहिण आया॥
ओपिरनि दूर खां धमकायो पिए।
उहे पंहिंजा हा, जे काहिण आया॥
बे-अझे दिल खे ॾिसी इल्लती ख़ौफ़।
ॿाड़ पंहिंजी हिते लाहिण आया॥
ठाह जी राह जी विया बन्द करे।
जे हुआ ॻाल्हि खे ठाहिण आया॥
कूड़े आथत मां छा मिलिणो हो, पर।
दोस्त हा, रस्म निबाहिण आया॥