Last modified on 6 अक्टूबर 2016, at 00:24

क़िस्सो खारे वरी ठाहिण आया / एम. कमल

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:24, 6 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एम. कमल |अनुवादक= |संग्रह=बाहि जा व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

क़िस्सो खारे वरी ठाहिण आया।
दोस्ती दोस्त निबाहिण आया॥

ओपिरनि दूर खां धमकायो पिए।
उहे पंहिंजा हा, जे काहिण आया॥

बे-अझे दिल खे ॾिसी इल्लती ख़ौफ़।
ॿाड़ पंहिंजी हिते लाहिण आया॥

ठाह जी राह जी विया बन्द करे।
जे हुआ ॻाल्हि खे ठाहिण आया॥

कूड़े आथत मां छा मिलिणो हो, पर।
दोस्त हा, रस्म निबाहिण आया॥