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खों-खों खों-खों करै डोकरी / अशोक अंजुम
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खों-खों खों-खों करै डोकरी
सब चाहैं अब मरै डोकरी
जबते खटिया पै पसरी है
सब बहुयन ते डरै डोकरी
मन ललचावै मीठो खाऊँ
घुट-घुट चारौ चरै डोकरी
सांसन कौ घट भयौ न खाली
कब झन्झट ते तरै डोकरी
जानें कौन छूत की रोगन
बच्चन ते रह परै डोकरी
जीवन सब गुर्राय कैं काटौ
ब्याज वाई कौ भरै डोकरी
गाल बजा मत चुप्प परी रह
घाब हरे मत करै डोकरी