भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इत्ते जादा मत इतराओ नेताजी / अशोक अंजुम
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 6 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक अंजुम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इत्ते जादा मत इतराओ नेताजी
सोच-समझ कैं गाल बजाओ नेताजी
धूल नायं जो भगत सिंग के पाँयन की
बाकूं भगत सिंग बतलाओ नेताजी
राजनीत के कीचड़ में तुम लिपट रए
रगड़-रगड़ कैं जाय छुड़ाओ नेताजी
तुम जे सोचौ सब बकबास सुनिंगे हम
भौत है गयौ अब रुकि जाओ नेताजी
नई -नई छोरिन के चक्कर में फसि कैं
मत पलीत मट्टी करवाओ नेताजी