भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राह / अर्जुन ‘शाद’

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:35, 7 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्जुन मीरचंदाणी 'शाद' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे कहिड़ी राह ते अची पहुता आहियूं
जो इहा बि ख़बर नथी पवे
त असांजो
ईंदड़ कदम
असांखे
केॾाहुं वठी हलंदो;
रस्तो आहे
इन्सान जे हलण लाइ
पर अजब आहे
इन रस्ते जी ॼाण खां
खु़द इन्सान ई अणॼाणु आहे!