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जहान जी रॻ / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’
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कॾहिं-कॾहिं
अची
घर खां
बजार जे मूंहं ते
तकीदो आहियां
बसूं
मोटरूं
ऐं साइकिलियूं
जलूस ऐं सरगस
पियादलनि जा मुंहं...
इन्हीअ तरह
कंदो आहियां सही
जहान जी रॻ।