भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रोशन राह / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:38, 8 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरूमल सदारंगाणी 'ख़ादिम' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पीड़ा
ख़्वाह
निराशा खां
बेज़ार जॾहिं थींदो आहियां
सूरज बि विञाए
जोति
ॾहिं
ऊंदहि जो गोलो थींदो आहि
ऐं
सर में
चक्कर ईंदो आहि
कंहिं मुंहं जी मुश्क
मासूम अदा
मस्तीअ में हवा खां लुॾंदड़ पन
नीले ते शफ़क जा फिरंदड़ रंग
ऐं
अहिड़ा सुहिणा ॿिया मंज़र
शम्अनि जां
पंहिंजे पंहिंजे नूर मंझां
जोड़ीदा आहिनि
रोशन राह।