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रेशा-रेशा, पत्ता-बूटा / महावीर उत्तरांचली
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रेशा-रेशा, पत्ता-बूटा
शाखें चटकीं, दिल-सा टूटा
ग़ैरों से शिकवा क्या करते
गुलशन तो अपनों ने लूटा
ये इश्क़ है इल्ज़ाम अगर तो
दे इल्ज़ाम मुझे मत झूटा
तुम क्या यार गए दुनिया से
प्यारा-सा इक साथी छूटा
शिकवा क्या ऊपर वाले से
भाग मिरा खुद ही था फूटा