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तलवारें दोधारी क्या / महावीर उत्तरांचली

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तलवारें दोधारी क्या
सुख-दुःख बारी-बारी क्या

क़त्ल ही मेरा ठहरा तो
फांसी, खंजर, आरी क्या

कौन किसी की सुनता है
मेरी और तुम्हारी क्या

चोट कज़ा की पड़नी है
बालक क्या, नर-नारी क्या

पूछ किसी से दीवाने
करमन की गति न्यारी क्या