Last modified on 21 अक्टूबर 2016, at 04:55

नर तन जतिया, भोर वकतिया / नारायणदास

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:55, 21 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नारायणदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatAngi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

॥झूमर॥

नर तन जतिया, भोर वकतिया, न करे भगतिया ना।
हाय राम! गजर-बजर में गेलै उमरिया, बिगड़ल मतिया ना॥1॥
झूठ चोरी जारी नशा व्यभिचारी, करै दिन-रतिया ना।
हाय राम! साधु-संत के बुझै न बतिया, करै जीव हत्या ना॥2॥
सब देवा-देवी बनाय के पुजलौं, माटी मुरतिया ना।
हाय राम! गुरु-मुरतिया कभी न पुजलौं, भुललै सुरतिया ना॥3॥
देवी के आगु में बकरी के बच्चा के, सिरा कटाबै ना।
हाय राम! एक दिन बदला तोहरो लेतौ, सुन रे कसैया ना॥4॥
हरि-भजन कर छोड़ौ कुसंगतिया, पाइबै सुगतिया ना।
हाय राम! कहै ‘नारायण’ सुन री सखिया, पाइबै सुगतिया ना॥5॥