रूप के चर्चा करै छोॅ रंग के केकरो,
आँख के मुस्की अलग के संग के केकरो,
नै करै छोॅ बात कखनू दर्द के गम के,
पास छोॅ पर जिन्दगी सें दूर छोॅ केकरो।
जेकरोॅ बोझोॅ छेकै ओकर्है ढोना छै;
जे गफलत में छै ओकरा खोना छै;
जें खोजै छै, वहीं पाबै छै;
जेकरा उपजाना छै, ओकरा बोना छै।
दुनियाँ में कोय नै छै आपनोॅ-बेगानोॅ;
जें जत्तेॅ साथ दियेॅ ओतने सोहानोॅ;
नै तेॅ सब छुच्छोॅ छै खोॅखरी रं बोतरा रं;
सुन्दर यै नगरी के रीत ई पुरानोॅ।
आवी रहलोॅ छै साँझ दिन ढरी रहलोॅ छै;
हरका पत्ता लपालप के चरी रहलोॅ छै!
ठूट्ठोॅ होय रहलोॅ छै टुसियैलें-हरियैलोॅ ठार
की सोची-सीची केॅ मोॅन डरी रहलोॅ छै?
हिरदै में उमड़ै छौं प्यारजों दुखियाके करीदहू पूरा अरमान,
धनोॅ सें देहोॅ सें जों पारोॅ राखोॅ बेचारा के मान,
वहेॅ धर्मात्मा छै दोसरा के लोरोॅ में कानै छै जेकरें परान,
कानोॅ में खोंसी लेॅ आदमी सें बढ़ी केॅ दुनियाँ में नै छै भगवान,
रहलोॅ छै बाँकी बहुत अरमान जिनगी के,
तरमस्सी केॅ हिचकलोॅ छै आन जिनगी के,
कसने छियै जबेॅ-जबेॅ मुट्ठी अंगार,
दरदोॅ सें उभरलोॅ छै मुस्कान जिनगी के।
कुछ लोग छै जे जीयै छै किल्लत के जिन्दगी,
कुछ लोग छै जे जीयै छै खिदमत के जिन्दगी,
कुछ लोग मतुर छै, करलकै जें बड़ी कमाल,
दौड़ी धरलकै दाव पर हिम्मत के जिन्दगी।
पागल छै सब नव सूरज के अगवानी में,
उबडुब छै जे काल्पनिक लीक के पानी में,
जें ‘जलज-जोंक’ केॅ एक्के रुपें निहारै छै
गुण-दोष बिना बेगछैन्है किरण पसारे छै।
संशय के दल-दल में रथ के पहिया धँसलै,
साती घोड़ा सूरज के दिग्भ्रम में फँसलै,
गहरी गेलै आकाश नया अँधियाला सें,
प्रभु रक्षा करेॅ देश के नारा वाला सें।
उलझलोॅ-उलझलोॅ सवाल छै जिन्दगी
शतरंज के टेढ़ोॅ चाल छेॅ जिन्दगी
प्यार के पाथक, उपकारोॅ के मौका
जहाँ छै ओकरे टा हाल छै जिन्दगी।
हथियार छौं तेॅ सम्हारोॅ बतन लेली
उठाबोॅ नै केकरो कफन लेली
भाय्ये छेकै देश के चिरै चुरगुन
गरम छौं लहू तेॅ उभारोॅ दुश्मन लेली।
सूरजोॅ सें उपटै छै जिन्दगी
चानोॅ सें टपकै छै जिन्दगी
जिन्दगी लहराय छै समुन्दर सें
रग-रग में मुस्कै छै जिन्दगी।
झर-झर-झर झरना के तान छै जिन्दगी
फूलोॅ के दगदग मुस्कान छै जिन्दगी
जिन्दगी रोशनी के धारा छै-फब्बारा
खुश मिजाज सागर के गान छै जिन्दगी।
हवा के लहरोॅ पर तैरै छै जिन्दगी
मौसम के डहरोॅ पर दौड़ै छै जिन्दगी
नाचीज समझी केॅ मसलोॅ नै एकरा तों
केकरो मिटैला सें मिटतै नै जिन्दगी।