भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द पिजाबोॅ / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:21, 30 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=सुमन सूरो |अनुवादक= |संग्रह=रूप रूप प्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
शब्द पिजाबोॅ, शब्द पिजाबोॅ
शब्द-शब्द पर धार चढ़ाबोॅ!
परत-परत जमलोॅ अन्हार केॅ काटेॅ
किरण-किरण सौंसे समाज केॅ बाँटेॅ
आँटेॅ जतना सुख अँजुरी में
जन-जन केॅ उपहार बढ़ाबोॅ!
एक साथ बोले-चाले सब, गूढ़ मरम केॅ जानेॅ
भरम भूलि सच के रौदी में अपना केॅ पहचानेॅ
सूपोॅ सें निछड़ी केॅ खँखरी
बस निट्ठा इन्सान बचाबोॅ!
जाग ई विश्वास कि जीवन छलना नै, माया नै
एक सत्य गतिमय ऊर्जामय; सपना नै छाया नै
मुट्ठी में तकदीर, समय हाथोॅ के कथा कहैया
बेधी-बेधी चिनगारी सें जड़ में चेतनता उपजाबोॅ!