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मन को समर्पण / प्रमोद तिवारी

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मन को समर्पण चाहिए
मन का
मगर फिर क्या करें
तन का

अगर तुम रोशनी को
चाहते हो तो
बताओ आग फिर
कैसे नहीं होगी
जहां पर आग होगी
तो धुआँ होगा
धुआँ होगा
तो कैसे
रोशनी होगी
फिर तो विसर्जन चाहिए
तन का
मगर तन हो
मेरे मन का