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संभलो दर्शको / हेमन्त शेष

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संभलो दर्शको

ऊब की मक्खी को

अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो

सम्भव है नींद खुलने पर इस बार

किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम

जागने से बड़ी है इस बार

पोशाक

संभलते दर्शको