भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहर में साँप / 9 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:35, 1 फ़रवरी 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँप
डैंस के भागै छै
किंतु
आदमी वहैं रहै छै
ओकरो मरै तक
इन्तजार करै छै।

अनुवाद:

साँप
डँस कर भागता है
किंतु
आदमी वहीं रहता है
उसके मरने तक
इन्तजार करता है।