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शहर में साँप / 21 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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साँप
मस्त होय केॅ ससैर रहल छै
दूसरों ने कहलकै
भाग आदमी आय रहल छै
वैं/जैहनें घुइमकेॅ देखलकेॅ
आदमी पीछू-पीछू आरो
ओको जहर
आगू-आगू चैल रहल रहै।

अनुवाद:

साँप
मस्ती में हो कर सरक रहा था
दूसरे ने कहा-
भागो आदमी आ रहा है।
उसने/ज्यों ही मुड़ कर देखा
आदमी पीछे-पीछे था
लेकिन उसका जहर
आगे-आगे चल रहा था।