भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शानु निरालो / मीरा हिंगोराणी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:39, 1 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चरमर-चरमर जूतनि जो,
शानु निरालो बूटनि जो।

कपड़े ऐ चमड़े जा,
उहनि कैनवेस मां बिजूता,
धूम धड़ाकौ बूटनि जो,
शानु निराली जूतनि जो...

बूटु बाटा जो पाए पप्पू,
ताने सीनो हलियो स्कूल,
आयो अव्वल मिलयुसि इनाम।

हैट निरलो पप्पूअ जो,
बूटु निरालो पप्पूअ जो।

वाह - भाई - वाह।
वाह - भाई - वाह!

शानु निरालो जूतनि जो...