Last modified on 2 फ़रवरी 2017, at 11:27

सुनो सभी! / श्वेता राय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:27, 2 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्वेता राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुभाष का प्रसार हो, धरा कला विहार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।

समान दृष्टि भाव हो।
समाज से लगाव हो।
कुबुद्धि पंथ दूर हो,
मनुष्यता स्वभाव हो।
सुवास द्वार द्वार हो, सुभाव बुद्धि धार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।

बढ़े चलो रुको नहीँ।
विपत्ति से झुको नहीं।
पुनीत प्राण पुंज है,
सुकर्म से चुको नहीं।
विधर्म राह हार हो,सुधर्म दिव्य सार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।

अनन्त शक्तिमान हो।
सुयोग्य मर्म ध्यान हो।
विशिष्ट ज्ञान को लिए,
सुजीव दैव मान हो।
सुतीक्ष्ण सद् विचार हो, सुलेखनी प्रहार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।