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होको / अमुल चैनलाल आहूजा 'रहिमी'

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वॾो साहित्यकार भल हुज तूं
पर
होको
मूर न ॾे
जो
होका
हित
अॻु में ई आहिन खू़ब वधियल
उन्हिन जा जे
ॼाण घटि हूंदे
ऐं इलम घटि हूंदे पिणु
कनि पिया फजू़ल यत्न
मथे ऐं मथे
आस्मान में उॾामण जो!