भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दहशतर्गिद / अमुल चैनलाल आहूजा 'रहिमी'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:17, 3 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमुल चैनलाल आहूजा 'रहिमी' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आङुर खणी
कंहिं खे
दहशतर्गिद चवण
आ ॾाढो सवलो
ईअं चवण वारा
ॾिसु तूं पाऐ झाती
सुबह खां
सांझीअ ताईं
ख़बरीअ
ख़्वाह
बे ख़बरीअ में
केॾा न
नित
हैबतनाक
कार्य पियो करीं तूं!!?