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जंहिं झूलण सां दिल लाती आ / लीला मामताणी

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जंहिं झूलण सां दिल लाती आ।
तंहिंजी आस हुन पुॼाई आ॥

1.
प्रेमु सचो जो रखे लालण सां
हर जाइ समुझे जो हुजे लालण सां
तंहिं शेवा करे सफल कमाई आ
तंहिंजी झूलण आस पुॼाई आ॥

2.
जिते जलपत जा चरन घुमनि था
रिद्धि सिद्धि नव निधि उते रहनि था
जाते सिक सां जोति जॻाई आ।
तंहिंजी लालण आस पुॼाई आ।

3.
संगति सॼी आ शरण लाल जी
कारज संवारियो अची रहे न जम काल जी
जिते थी न का सची कमाई आ
तंहिंजी लालण आस पुॼाई आ।