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अलाए छो-अलाए छा / मुकेश तिलोकाणी

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तूं हली वईंअ
हीउ ख़ाली पलंगु
दोस्त बणिजण थो चाहे

कुर्बु ॾिसी
भुल में अॻियां वधां
वरी मोट खाईंदे
दिल मन हणंदे
जॾी आराम कुर्सी विलारियां

हिक यादि
ॿी फुरिसत
टीं, तंगि ज़िंदगी

हाणि कोयल जी
कूक कड़ी
मोर जो नाचु
अण वणंदडु
मुखौटनि कलाकारिन जा रंग
नवां - नवां
सबह, ॾींहुं, शाम
ऐं वॾी कारी राति
ऐं वरी ऐं वरी ऐं वरी
हाणि अलाए छो, अलाए छा।