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जीए पई / मुकेश तिलोकाणी

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घड़ियाल जे
घिंड बैदि
लठि जी ठकि ठकिं
वॾी छिक
अढाई...न...65!
अखियूं छित में...
अञां...
बम बारूद
भरि में।
अञा अढाई!?
कुकड़ जी ॿांग बैदि
राम सुमरणु
प्रभात मेरे मन...
ओ...!
अञा...!?