भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीए पई / मुकेश तिलोकाणी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:38, 6 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश तिलोकाणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
घड़ियाल जे
घिंड बैदि
लठि जी ठकि ठकिं
वॾी छिक
अढाई...न...65!
अखियूं छित में...
अञां...
बम बारूद
भरि में।
अञा अढाई!?
कुकड़ जी ॿांग बैदि
राम सुमरणु
प्रभात मेरे मन...
ओ...!
अञा...!?