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अमरलाल सुहिणा तुंहिंजा मेला लॻनि था / लीला मामताणी

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अमरलाल सुहिणा तुंहिंजा मेला लॻनि था।
मेला लॻनि था सुवाली अचनि था॥

1.
सुबुह शाम तुंहिंजा वॼनि था नग़ारा।
अठई पहिर तुंहिंजा खुलियल आहिनि भंडारा॥
रखीं नियम नेमी जे दर ते निमनि था।
अमरलाल सुहिणा तुंहिंजा मेला लॻनि था।

2.
करीं सुवाल पूरा सुवालियुनि जा साईं।
अंधनि मंडनि पिंगलनि जो आधारु आहीं॥
चारई वरन तुंहिंजा चरन चुमनि था।
अमरलाल सुहिणा तुंहिंजा मेला लॻनि था।

3.
अखंड जोति तुंहिंजी मंदर में ॿरे थी।
करे जेको दर्शन दिलड़ी ठरे थी॥
तुंहिंजे रहिम सां सभु दुखिड़ा टरनि था।
अमरलाल सुहिणा तुंहिंजा मेला लॻनि था।

4.
सारी संगति तो दर ते पलव थी पाए।
कजाइ लाया सजाया सभ जा भाल भलाए॥
इहो दानु तोखां प्रेमी घुरनि था।
अमरलाल सुहिणा तुंहिंजा मेला लॻनि था।