भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अखरु-भूरी / मुकेश तिलोकाणी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:22, 6 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश तिलोकाणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अखरु भूरीअ खां पोइ
अलाए छा!

हा, बराबर
थिए पियो, थींदो हलंदो
रामायण
महाभारत
पाठु साहिबु
सत्संगु
कीर्तनु
सुखो ऐं सेसा
गरमु शरबतु
टहिकनु सां गॾु
रड़ियूं
आयोलाल-झूलेलाल
झुमिरि
डोंका
छेॼ
टपिड़ो
भॻतु
अल्लाह मियां-भलो मियां
अखरु भूरीअ खां पोइ
अलाए छा!