भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक्टर / लक्ष्मण पुरूस्वानी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:14, 6 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण पुरूस्वानी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

असां सभेड़ एक्टर आहियूं रोज नई एक्टिंग कयूं था
आरसीअ में छा दिसू अंधियू आहिन अखडयू असाजूं
गलतियूं करे रोज नइयूं प्रतिष्ठा थी खाक असांजी
हाराए हर रोज असां जय मनायूं रोज पहिजी दृष्टि मे
कटजंदा वञूं था पहिजी ॿोली भाषा खां
हिन विज्ञानी सृष्टीअ में
वेसारे सिंध ए सिंधी ॿोली
पंहिजो अपचप कयूं था
नाहे जा पंहिजी भाषा उन्हें खे ॻालाइण जो निश्चय कयूं था!
असल कथा कहिड़ी बि नाहें नक्शे मे दिसजन्दी सिन्ध
हाल रहन्दा एहिडा त किथा बचंदी विन्ध ऐ असांजी बोली
हाल एहिडन मे किअं बचन्दी अम्मड़ सिन्ध ए जीजल ॿोली
पलकुनि जे सुन्दर अङण में सिपना रोज खिलन था
कई बार सुहिणा ऐ कदहि फिका थी वञन था
वदा वदा नाला पर कम बिल्कुल नन्ढ़ा थीदां आहिन
दुनियां जे सभ सिक्कन में घणा वधीक खोटा थीदां आहिन
हिन्दी आहियूं या सिन्धी पहिंजे पाण मुंझू हिअ कहिड़ी आंख मिचौली
शान मान सा रहिणो आहे त याद रख सिन्ध ए सिन्धी ॿोली