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अर्जु ओनाइ सॿाझा / लक्ष्मण पुरूस्वानी

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दया, धर्म धीरज धारियूं वेर विरोध खां परे
अर्जु ओनाइ सॿाझा दास इहा थो अरदास करे
उथी अमृत वेले कयूं गुणगान झूलण जा
अंतर मन आराधियूं चित तुहिंजो चिंतन करे
अर्जु ओनाइ सॿाझा दास इहा थो अरदास करे
जेंसी जॻ में हुजां जिअरो, मन तुहिंजो ई सिमरन करे
सत्कर्म जी वाट वठी हलू, रही झंझट खां परे
अर्जु ओनाइ सॿाझा दास इहा इ अरदास करे
जेको झूलण खां घुरे थो पल्लव करे
दयालु आहे लालण सभि खे दे थो झोल भरे
अर्जु ओनाइ सॿाझा दास इहा इ अरदास करे
खिली खिली खाराई सुम्हियलनि खे बि सुजाॻु करे
साथी सचो झूलण आ कंदो सभ जा दुख दर्द परे
अर्जु ओनाइ सॿाझा दास इहा इ अरदास करे
हीणी सभनी जी हस्ती, तो अॻिया मगरूरी मस्ती
कन्दो लाल ऊं लाल आ लक्षमण अचु ॿ पेर भरे
अर्जु ओनाइ सॿाझा दास इहा इ अरदास करे