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खुशबू तुहिंजी / लक्ष्मण पुरूस्वानी
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करे थी दिल दीवानी, खु़शबू तुहिंजी
बणाए थी मखमूर, खु़शबू तुहिंजी
वेसारे न विसिरनि, लम्हा प्यार जा
तसवुर में ताज़ी आ खु़शबू तुहिंजी
बज़्म में हसीननि जी, हाकूं तुहिंजियूं
महिके थी महफिल में, खु़शबू तुहिंजी
मिलाईं अखियूं थी, त महिकी वञां थो
संवारे छदे ख़्वाब, खुशबू तुहिंजी
तुहिंजी आरजू मुहिंजो, ईमानु आ
नचाए थी मन मोर खु़शबू तुहिंजी
वसी तूं थी दिल में बि, धड़कनि बणी
मुहिंजी जिन्दगीअ में आ, खु़शबू तुहिंजी