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अरमान / लक्ष्मण पुरूस्वानी
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दिल जी हर हिक, आह में तूफान आ
तूं मिलीं दिलबर इहो अरमान आ
अचु मुहिंजी राधा बणीं हिकवार तूं
श्याम जी मुरली बि अॼु बेजान आ
दिल जपे थी नांउ तुहिंजो रात दींह
तुहिंजी चाहत ई मुहिंजो ईमान आ
चमन में मुहिंजे बहारूं अचु खणी
दिल जो गुलशन तो बिना वीरान आ
तीर तुहिंजनि ई-मूंखे घाए छदियो
थो लॻे हीउ घव ॼण वरदान आ
मुन्तजर आहियां तुहिंजी आहट जो
मायूस मान्दो मन मुहिंजो हैरान आ
दीद ‘लक्षमण’ खे जे दीं, राहत मिले
ग़मजदा तुहिंजे बिना दिल जान आ