पहचान अधूरी है
तब तक,
जब तक
चेहरे से प्यार नफरत की
नक़ाबी परतें
हट नहीं जातीं
आईना बदलने की जरूरत नहीं
ज़रूरत है, मानसिकता के बदलाव की
आज अभी
यह वक्त की मांग है-
जो बदलाव् सदियाँ न ला सकीं
वही बेनकाब करेगा
यह क्रांतिकारी पल!
पहचान अधूरी है
तब तक,
जब तक
चेहरे से प्यार नफरत की
नक़ाबी परतें
हट नहीं जातीं
आईना बदलने की जरूरत नहीं
ज़रूरत है, मानसिकता के बदलाव की
आज अभी
यह वक्त की मांग है-
जो बदलाव् सदियाँ न ला सकीं
वही बेनकाब करेगा
यह क्रांतिकारी पल!