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ओ री तितली / प्रकाश मनु

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ओ री तितली, कहाँ चली तू,
कितनी अच्छी और भली तू!

खूब सँवरकर जब आती है,
रंगों का गाना गाती है।

फूल देखते रह जाते हैं,
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं।

पंखों में उनकी खुशबू ले,
और हवाओं में बिखरा दे!