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धीरे-से मुसकाती चिड़िया / प्रकाश मनु

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मुझको तो अच्छी लगती है,
हरे लॉन पर गाती चिड़िया।

चहक-चहककर जब गाती है
पंख खोलकर उड़ जाती है,
तब लगता है आसमान को
धरती पर ले आती चिड़िया!

पता नहीं, यह कब सोती है
सारी रात कहाँ होती है,
बड़े सवेरे जग जाती है
मुझको रोज जगाती चिड़िया

जब मैं खूब प्यार से हँसता
इससे मन की बातें कहता,
मम्मी, मुझको तब लगता है,
धीरे-से मुसकाती चिड़िया!